Rekha khichi

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अजीब सा सपना लेखनी प्रतियोगिता -19-Dec-2022

एक अजीब सा सपना देखा मैंने
लाखों की भीड़ में कोई अपना देखा मैंने
कहने को तो वो मेरा अपना था
लेकिन उसको भी थोड़ा सा अलग देखा मैंने

वो चुप चाप था , बैठा गुमसुम बैचेन सा था
ना जाने क्यों वो इतना उदास क्यों था
अचानक नजर पड़ी मेरी खुद पर
और मैं बेसुध सी सोई हुई थी
ना जाने कौनसी दुनिया में खोई हुई थी

आखिर क्यों सब लोग आज दिखावा कर रहे हैं
जीते जी बेसहारा रखा और आज सहारा दे रहे हैं
ये साथ निभाने की परपंरा क्या मुकम्मल नींद हो
 तभी शुरू की जाती है?
सांसे चलती हो तब तलक बस बेरुखी रखी जाती है 
फिर एक दम से आंख खुली , और टूट गया वो दिखावे का सपना
जो मुझे देखना पसंद नहीं करते 
वो भी रो रहा था बनकर अपना
लोग कहते हैं कि साकार होने चाहिए सपने मगर
मेरा ये सपना जीते जी पूरा हो
 तभी जीवन आसान हो जायेगा
वरना जो सांसे चलते हुए साथ नहीं निभा सके
मरने के बाद तो क्या ही अपना बनाएगा।
#प्रतियोगिता
रेखा खिंची 😊✍️

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9 Comments

यथार्थ चित्रण आज के परिवेश में मानवीय प्रवृति la

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Swati chourasia

22-Dec-2022 05:52 AM

बहुत खूब 👌👌

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Gunjan Kamal

21-Dec-2022 09:25 PM

शानदार

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